Rich Dad’s Before You Quit Your Job Book Summary In Hindi|Robert Kiyosaki|बिजनेस का शुरुआत कैसे करें

                             

Rich Dad’s Before You Quit Your Job के लेखक कौन हैं?

(Who is the author of Rich Dad’s Before You Quit Your Job):-

रॉबर्ट कियोसाकी(Robert Kiyosaki) एक ऑथर और बिजनेसमैन हैं . वो Rich Dad Company के फाउंडर हैं जो किताबों , वीडियो और सेमीनार के ज़रिए लोगों को फाइनेंसियल एजुकेशन प्रदान करते हैं.कियोसाकी कि “ Rich Dad Poor Dad ” सीरीज़ की दुनिया भर में अब तक 40 मिलियन से ज़्यादा कॉपी बिक चुकी है।


परिचय ( Introduction ):-

Rich Dad's Before You Quit Your Job Book Summary In Hindi|Robert Kiyosaki|बिजनेस का शुरुआत कैसे करें

Rich Dad’s Before You Quit Your Job Book Summary In Hindi|बिजनेस का शुरुआत कैसे करें
ये बुक popular सीरीज़ “ Rich Dad Poor Dad ” का हिस्सा है.रॉबर्ट कियोसा की आपको अपना जॉब छोड़कर एक बिजनेसमैन बनने के रास्ते पर गाइड करेंगे.ये रास्ता आसान नहीं है लेकिन ये ट्राय करने के लायक ज़रूर है।इस बुक में आप सक्सेसफुल होने के लिए इम्पोर्टेन्ट लेसन सीखेंगे . एडवेंचर , ज़्यादा टाइम , पैसा , सक्सेस और अपनी पसंद से चीज़ों को चुनने की फ्रीडम – ये सभी आपके हो सकते हैं अगर आप एक बिजनेसमैन बनने का रास्ता अपनाते हैं।

क्या आप अपने रेगुलर 9 टू 5 job से थक चुके हैं ? क्या आप एक employee के रूप में काम करते करते बोर हो गए हैं ? अगर हाँ , तो ये Book आपके लिए है . शायद आप भी ऐसे लोगों को जानते होंगे जिन्होंने job छोड़कर Bussiness की शुरुआत की और आज वो काफ़ी सक्सेसफुल हैं और अच्छा ख़ासा कमा रहे हैं।

आप भी उनमें से एक बन सकते हैं . ये बातें सिर्फ कोरी कल्पना नहीं है और ना ही कोई सपना है . इस Book के ऑथर रॉबर्ट आपको सिखाएँगे कि अपनी job छोड़ कर एक लंबी छलांग लगाने से पहले आपको क्या क्या सीखने की ज़रुरत है . एक businessman बनना आसान नहीं है।

इस Book के ज़रिए आपको ये समझ में आएगा कि इस प्रोफेशन में सिक्योरिटी नाम की कोई चीज़ नहीं होती . इसमें आपको रेगुलर तनख्वाह और बेनिफिट नहीं मिलने वाले . आप ये भी जानेंगे कि नए businessman बार – बार और कई बार फेल भी होते हैं . लेकिन मायने ये रखता है कि आप अपनी गलतियों से सीख कर कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार हों।

इस सफ़र की शुरुआत अपना माइंडसेट और नज़रिया बदलने से होती है . हो सकता है कि आप सालों से एक employee हों और एक employee की तरह ही सोचते हों लेकिन अब इसे बदलने का समय आ गया है.एक Bussinessमैन किस तरह सोचता है ये सीखने के बाद आपको फ्रीडम और सक्सेस दोनों मिलेंगे.एक सक्सेसफुल businessman बनने के लिए यहाँ कुछ ख़ास लेसन बताए गए हैं . आइए एक – एक करके उन्हें समझते हैं।

Lesson-1 What is the difference between an entrepreneur and an employee(एक उद्यमी और एक कर्मचारी के बीच क्या अंतर है):-

” रिच डैड पुअर डैड ” एक बहुत ही मशहूर Book है . उसमें जो पुअर डैड थे उनका कहना था कि “ मन लगाकर पढ़ाई करो , अच्छे मार्क्स लाओ ताकि आपको एक स्टेबल इनकम वाली अच्छी job मिल सके ” . उन्होंने रॉबर्ट को भी employee बनने के लिए encourage किया . तो वहीं रिच डैड का कहना था कि “ अपना खुद का Bussiness शुरू करो और उन लोगों को काम पर रखो जो आपसे ज़्यादा स्मार्ट हैं।

उन्होंने रॉबर्ट को एक businessman बनने के लिए encourage किया . तो एक businessman और employee में आखिर फ़र्क क्या होता है ? एक employee Bussiness की शुरुआत होने के बाद उसमें काम करना शुरू करता है . लेकिन एक businessman को Bussiness के शुरू होने से पहले ही काम पर लगना पड़ता है . सच्चाई तो ये  है कि 99 % नए Bussiness अपनी 10th एनिवर्सरी के पहले ही बंद हो जाते हैं।

ज़्यादातर Bussiness ख़राब planning की वजह से फेल होते हैं . कंपनी का ओनर अपनी कड़ी मेहनत से Bussiness को लंबे समय तक चलाने की कोशिश करता है . हालांकि , ऐसा करने के कई सालों के बाद ओनर भी थक जाता है . काफ़ी समय और पैसा उन एक्टिविटीज में लगानी पड़ती हैं जो असल में प्रॉफिट कमाने में कोई मदद नहीं करते।

पहली बात , अगर किसी Bussiness को ख़राब तरीके से डिज़ाइन किया गया हो तो ओनर की घंटों की कड़ी मेहनत भी उसे बचा नहीं सकती . रॉबर्ट के एक दोस्त थे जिनका नाम जॉन था . जॉन ने अपना Bussiness शुरू करने के लिए एक बड़े बैंक में job छोड़ दी थी . वो लोन ऑफिसर के रूप में काम करते थे जिसके लिए उन्हें अच्छी तनख्वाह मिलती थी।

लेकिन उन्होंने देखा कि बैंक के जो सबसे अमीर कस्टमर्स थे वो businessman थे.जॉन सोचा करते थे , क्या कभी वो उनमें से एक बन पाएँगे . वो एक employee की तरह नहीं बल्कि एक बॉस बनकर अपने तरीके से काम करना चाहते थे . इसलिए जॉन ने job छोड़ दी और अपनी माँ के साथ एक छोटा सा फूड जॉइंट खोल लिया . वो वहाँ लंच सर्व करते थे।

उन्होंने शहर में कॉर्पोरेट ऑफिस के पास एक जगह रेंट पर ली . हर रोज़ , जॉन और उनकी माँ सुबह 4 बजे उठते और खाना तैयार करने में लग जाते . दोनों कम दाम पर अच्छा ख़ासा खाना परोसने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे.वो कम दाम लेते थे लेकिन प्लेट भर कर खाना देते थे।

रॉबर्ट अक्सर वहाँ खाने और उनसे बातें करने जाते थे.जॉन बहुत ख़ुश लग रहे थे . उन्हें कस्टमर्स को सर्व करना बहुत पसंद था . वो अक्सर रॉबर्ट से कहते , ” किसी दिन हम भी एक बड़ा नाम होंगे . हम लोगों को काम पर रखेंगे ताकि वो हमारे लिए कड़ी मेहनत कर सकें ” . लेकिन वो दिन कभी नहीं आया , जॉन की माँ गुज़र गईं थी।

जॉन ने जॉइंट बंद करके एक रेस्टोरेंट में मैनेजर की पोस्ट के लिए अप्लाई किया . अब जॉन एक बार फ़िर से employee बन गए आखरी बार जब रॉबर्ट उनसे मिले तो जॉन ने बताया कि उनकी तनख्वाह कम थी लेकिन उन्हें कम घंटे काम करना पड़ता था।

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अब आप कहेंगे कि कम से कम जॉन ने Bussiness चलाने की कोशिश तो की और उसने बहुत कड़ी मेहनत भी की . अगर उनकी माँ जिंदा होतीं तो हो सकता था कि उनका Bussiness बढ़ जाता और वो बहुत पैसा कमा लेते . रॉबर्ट को जॉन की माँ से बहुत लगाव था . वो इस बात से दुखी थे कि इतनी मेहनत करने के बावजूद उनका Bussiness फेल हो गया था।

लेकिन ये फेलियर भी businessman होने का एक हिस्सा है.जॉन के Bussiness को डिज़ाइन करने के तरीके में कुछ गलती थी . एक सक्सेसफुल Bussiness को इस तरह डिज़ाइन किया जाना चाहिए ताकि वो अपने ओनर के ना होने के बावजूद भी चलता रहे और ग्रो करता रहे . यही एक businessman का असली काम होता है।

उसे एक ऐसा Bussiness मॉडल बनाने की ज़रुरत है जो उसके होने या ना होने के बावजूद कस्टमर्स को वैल्यू दे सके , लोगों को काम पर रख सके , ग्रो कर सके . रॉबर्ट के अनुसार , Bussiness में चार तरह के लोग होते है।

पहला है employee . दूसरे हैं , ख़ुद का Bussiness चलाने वाले छोटे Bussiness ओनर्स . तीसरे हैं , बड़े Bussiness ओनर्स जो 500 या उससे ज़्यादा एम्प्लाइज को काम पर रखते हैं और चौथे हैं इनवेस्टर्स . एक सीनियर मैनेजर और सिक्योरिटी गार्ड दोनों ही कंपनी के employee हैं . उन्हें रेगुलर तनख्वाह मिलती है . ऐसे लोगों को सेफ़ और फिक्स्ड इनकम चाहिए।

Bussiness ओनर्स का ये मानना है कि अगर आप कोई काम ठीक से करवाना चाहते हैं तो आपको उसे खुद करना चाहिए.ऐसे लोगों को दूसरों पर कम विश्वास होता है इसलिए इनका Bussiness ज़्यादा बड़ा नहीं हो पाता.ये छोटे Bussiness ओनर्स सारे काम ख़ुद सँभालते हैं।

वहीं दूसरी ओर , बड़े Bussiness ओनर्स अच्छा सिस्टम बनाने में और टैलेंटेड लोगों को काम पर रखने में विश्वास करते हैं.ऐसा करने से , कंपनी ओनर की लगातार निगरानी के बिना भी बड़ी हो सकती है . इनवेस्टर्स वो होते हैं जो छोटे और बड़े Bussiness की तलाश में रहते हैं जो उनके पैसों का सही इस्तेमाल कर उसे और बढ़ा सके।

Lesson -2 Learn -How to Turn Bad Luck Into Good Luck(बुरे किस्मत को अच्छे किस्मत में कैसे बदले):-

ये चैप्टर अपनी गलतियों से सीखने के बारे में है.आपको फेलियर को या अपनी गलतियों को bad लक के रूप में नहीं देखना चाहिए . आपको उन्हें अपने Bussiness को और ख़ुद को ज़्यादा जानने के मौकों के रूप में देखना चाहिए . गलतियाँ स्टॉप सिगनल की तरह होती हैं।

ये warning साइन के जैसे हैं जिसका मतलब है कि आपको रुक कर सोचने की ज़रुरत है यानी आप कहीं ना कहीं भूल कर रहे हैं और आपको उस भूल का पता लगाने की ज़रुरत है.ये हमें कुछ नया सीखने का मौका देती है . इसलिए अगर अगली बार आप फेल होते हैं तो निराश मत होइए , आपको बस रुक कर सोचने की ज़रुरत है।

आपको गुस्सा और दोष देने की फीलिंग्स को साइड में रखना होगा . अपना नज़रिया बदलें और इस बात को एक्सेप्ट करें कि फेल होना बुरा नहीं है . इससे आपको हताश होकर चीज़ों को बीच में छोड़ना नहीं है बल्कि ये समझना है कि आप क्या गलती कर रहे थे और उससे सीखना है।

आइए रॉबर्ट के पुअर डैड की कहानी सुनते हैं . 50 की उम्र में वो गवर्नमेंट job से रिटायर हुए और उन्होंने ख़ुद का Bussiness शुरू किया . उन्होंने एक फेमस आइसक्रीम ब्रैंड की फ्रैंचाइज़ी ली . पुअर डैड ने सोचा कि ये Bussiness तो फेल हो ही नहीं सकता क्योंकि लोग उस ब्रैंड के दीवाने थे।

लेकिन सिर्फ दो सालों में ही उनकी दूकान बंद हो गई और उनका सारा पैसा डूब गया . इस घटना की वजह से उन्हें बहुत गुस्सा आ रहा था और वो काफ़ी उदास भी हो गए थे . अपने Bussiness के फेल होने के लिए उन्होंने फ्रेंचाइज़र को दोषी ठहराया।
उन्होंने अपनी गलतियों से कुछ नहीं सीखा.उनके स्टोर में कुछ गिने चुने लोग ही आया करते थे लेकिन इसके अलावा उनके लॉयल कस्टमर्स नहीं बन पाए . वो स्टोर में घंटों अकेले बैठे रहते,यहाँ सबक ये है कि किसी और को दोष देने की बजाय उन्हें तुरंत इस बात को एक्सेप्ट कर लेना चाहिए था कि कहीं ना कहीं उनसे गलती हुई है।

उन्हें अंधाधुन आगे बढ़ने की जगह रुक कर थोड़ा सोचना चाहिए था.उन्हें अपनी गलतियों का पता लगाकर उसे सुधारना चाहिए था.लेकिन उन्होंने इस पर गौर ही नहीं किया और एक के बाद एक दिन निकलते गए जिसका अंजाम ये हुआ कि उनका दिवाला निकल गया था।

पुअर डैड ने Bussiness के दौरान अपने स्टाफ़ को काम से निकाल दियाथाताकि वो कॉस्ट को कम कर सके और सारा काम ख़ुद करने लगे . इसके बाद उनका अपने Bussiness पार्टनर्स से झगड़ा हुआ।

उन्होंने एक लॉयर की मदद से फ्रेंचाइज़र पर केस कर दिया . पुअर डैड ने अपना सारा पैसा अपनी गलतियों का दोष दूसरों पर लगाने में ख़र्च कर दिया . फेलियर एक्सेप्ट कर एक नई शुरुआत करने के बजाय वो हालात बद से बदतर करते चले गए . एक Bussiness खड़ा करने के process में , फेलियर वो सच है जिसे टाला नहीं जा सकता।

इसलिए जितनी जल्दी आप अपनी गलतियों से सीखेंगे उतना ही आपके लिए अच्छा होगा . यहाँ एक कॉमन process बताया गया है जिससे हर एक Bussinessमैन को गुज़रना पड़ता है।

1-अपने Bussiness की शुरुआत करें।

2-फेल होने पर अपनी गलतियों से सीखें।

3- एक गाइड या गुरु की तलाश करें।

4- अगर फ़िर फेल हुए तो हताश होने की जगह फ़िर उससे सीखें।

5-अपने Bussiness के बारे में और जानने की कोशिश करें या ट्रेनिंग लें।

6- अगर फेल हुए तो फ़िर उससे सीखें।

7- अगर आपने सक्सेस हासिल कर ली तो आप थोड़ा रिलैक्स कर सकते हैं।

8-आप अपनी सक्सेस का जश्न मना सकते हैं।

9-अपने Bussiness से होने वाली इनकम पर ध्यान दें और अपनी हार और जीत का हिसाब रखे।

10-फ़िर से शुरू कर पहले स्टेप पर जाएं।

लेकिन सच्चाई तो ये है कि businessman बनने की इच्छा रखने वाले 90 % लोग पहले स्टेप तक भी नहीं पहुँच पाते.उनके माइंड में एक परफेक्ट Bussiness प्लान तो होता है लेकिन उसे हकीकत में बदलने के लिए वो कोई एक्शन ही नहीं लेते . इसे Analysis Paralysis कहा जाता है . यहाँ ये सबक सीखने को मिलता है कि जब तक आप कोशिश नहीं करेंगे तब तक आप जान ही नहीं पाएंगे।

जब आप Bussiness शुरू ही नहीं करेंगे आपको कैसे पता चलेगा कि किस चीज़ की कमी है या किस चीज़ को बेहतर बनाने की ज़रुरत है ? जब तक आपके पास सीखने के लिए कोई Bussiness नहीं होगा , आप businessman नहीं बन सकते . फेल होना बुरा नहीं है लेकिन अपनी गलती ना मानना या उससे कुछ ना सीखना बहुत बुरा है.हम इंसान हैं और कभी – कभी गड़बड़ हो जाती है।

मायने ये रखता है कि आप गलती को पहचान कर उससे सीखें और दोबारा खड़े होने का ज़ज्बा दिखाएं . अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो आप हमेशा के लिए एक employee बन कर रह जाएँगे . फ़िर आप कभी नहीं जान पाएंगे कि अपना Bussiness चलाना कैसा लगता है।

Lesson-3 Know the Difference Between Your Job and Your Work(अपनी नौकरी और अपने काम के बीच अंतर को जानें):-

एक दिन , रिच डैड ने रॉबर्ट से काम ( वर्क ) और job के बीच के फ़र्क के बारे में पूछा . सवाल सुनकर रॉबर्ट कंफ्यूज हो गए और उन्होंने कहा , “ क्या आप एक ही चीज़ का ज़िक्र नहीं कर रहे हैं ? job का मतलब ही काम होता है , है ना ? ” रिच डैड मुस्कुराने लगे और कहा नहीं , दोनों में फ़र्क है . job वो है।

जिसके लिए आपको पैसे दिए जाते हैं . लेकिन आपको काम के बदले हमेशा पैसे नहीं मिलते . एग्ज़ामपल के लिए , पढ़ाई करना , ट्रेनिंग या रिसर्च करना ये सब काम हैं . ये वो काम है जो आप job की तैयारी के लिए करते हैं . रिच डैड का मानना है कि आप जितना ज़्यादा काम करेंगे आपको job में उतनी ज़्यादा तनख्वाह मिलेगी।

जो लोग पढ़ते नहीं , ट्रेनिंग नहीं लेते या रिसर्च नहीं करते उन्हें job में कम पैसे मिलते हैं.ये बात हर जगह लागू होती है फ़िर चाहे आप businessman हों या एक employee . Lawyers और डॉक्टर्स को कई साल ट्रेनिंग लेनी पड़ती है . उन्हें कई घंटों तक काम करना पड़ता है जिसके लिए उन्हें पैसे नहीं दिए जाते।

लेकिन ट्रेनिंग ख़त्म करने के बाद जब वो प्रोफेशनल बन जाते हैं तब वो पैसा कमाना शुरू करते हैं . और क्योंकि उन्होंने दस या उससे ज़्यादा सालों तक काम किया है , वो अपने फील्ड में एक्सपर्ट हो जाते हैं।

जिसके लिए उन्हें अच्छी ख़ासी फ़ीस मिलना शुरू हो जाती है . यही बात एक businessman पर भी लाग होती है . अगर एक businessman ने तैयारी नहीं की या अपना होमवर्क नहीं किया तो उसका छोटा सा Bussiness फेल होना तय है।

एक employee हर काम के बदले में पैसा चाहता है , ये उसका माइंडसेट होता है . जब तक आप इस तरह की सोच रखेंगे , आप कभी भी एक businessman नहीं बन सकते . employee उम्मीद करते हैं कि उनकी कंपनी उन्हें फ्री में ट्रेनिंग दे . वो उम्मीद करते हैं कि उनके बॉस उन्हें अपनी स्किल को बेहतर करने का मौक़ा देंगे लेकिन ये सोच बिलकुल गलत है।

एम्प्लाइज अपना ख़ाली समय अक्सर फिल्में देखने में , गपशप करने में बिता देते हैं . वो अपने फ्री टाइम को कुछ सीखने के लिए यूज़ नहीं करते.कोई भी आपको एक्स्ट्रा काम के लिए पैसे नहीं देगा लेकिन इसका फ़ायदा आपको बाद में होगा . अगर आप ख़ुद की नॉलेज को बढ़ाएंगे तो आपके पास पैसा कमाने के ज़्यादा मौके होंगे।

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अब प्रोफेशनल athletes को ही ले लीजिए . उन्होंने कई सालों तक फ्री में काम किया . उन्होंने कम उम्र से ही ट्रेनिंग लेना शुरू किया . ना जाने वो कितनी बार गिरे , उन्हें कितनी चोट आई लेकिन वो डट कर प्रैक्टिस करते रहे . क्योंकि इन लोगों ने हर डिटेल पर ध्यान दिया।

अपने स्किल को इम्प्रूव किया उन्हें नेशनल टीम में जगह मिली और उन्होंने इंटरनेशनल गेम्स जीत कर देश का नाम रौशन किया . क्या आपको लगता है कि जब फेमस रॉकबैंड Beatles ने शुरुआत की थी तो उन्हें बहुत पैसे मिलते थे ? नहीं , बिलकुल नहीं . कई सालों तक कोई नहीं जानता था कि Beatles कौन थे।

वे लिवरपूल के सिर्फ़ एक नौसिखिया रॉक बैंड थे . Beatles ने फेमस होने के पहले कई क्लब्स में पूरी – पूरी रात परफॉर्म किया है.उनकी रोज़ की जो टफ ट्रेनिंग थी उसने उन्हें एक महान और उम्दा आर्टिस्ट बनाया।

Beatles ने अपना होमवर्क किया और उसी कारण वो इतने सक्सेसफुल हुए . अगर हम पुअर डैड की कहानी के बारे में सोचें तो उन्होंने कोई होमवर्क नहीं किया था इसलिए उनका Bussiness फेल हो गया . रॉबर्ट ने B – I Triangle या Big Business – Investor Triangle के बारे में बताया है।

अगर आप सक्सेस के शिखर तक पहुंचना चाहते हैं तो आपको पांच फैक्टर्स को ध्यान में रखना होगा . पहला है , प्रोडक्ट . दूसरा है , लीगल , तीसरा है , सिस्टम , चौथा है कम्युनिकेशन और पांचवा है कैश फ़्लो . B – I Triangle को पांच लेवल में डिवाइड किया गया है,प्रोडक्ट सबसे टॉप पर है और कैश फ़्लो सबसे नीचे.इन पाँचों लेवेल्स को ठीक से मैनेज किया जाए तो Bussiness में तरक्की होना तय है।

पुअर डैड का प्रोडक्ट कमाल का था लेकिन वो कम्युनिकेशन और मार्केटिंग में चूक गए . उन्होंने सोचा कि आइसक्रीम का वो बैंड इतना popular था कि वो कस्टमर्स को attract करने के लिए काफ़ी था और उनके Bussiness के सक्सेसफुल होने की guarantee थी . असल में पुअर डैड ने एक सस्ती जगह के पुराने शॉपिंग मॉल में अपना स्टोर खोला था।

इसके बजाय उन्हें ऐसी जगह रेंट पर लेनी चाहिए थी जहां काफ़ी लोगों का आना जाना लगा रहता है . वो आइसक्रीम का बैंड popular था , पुअर डैड का स्टोर नहीं . क्योंकि वो एक फ्रैंचाइज़ी था , पुअर डैड ने चार फैक्टर्स को पूरा कर लिया था जो था कैश फ़्लो , सिस्टम , लीगल और प्रोडक्ट . लेकिन पांचवा फैक्टर , कम्युनिकेशन सही नहीं था।

पुअर डैड ने फ्रैंचाइज़ी खरीदने की जल्दबाज़ी की ताकि उन्हें Bussiness को नए सिरे से शुरू ना करना पड़े , वो एक बने बनाए Bussiness से प्रॉफिट कमाना चाहते थे . वो फ्री में काम करने के लिए तैयार नहीं थे और उसके कारण वो एक businessman के job में फेल हो गए . उन्होंने अपना सारा पैसा खो दिया और दोबारा एक employee बन कर रह गए।

Lesson-4 Success Reveals Your Failures(सफलता आपके असफलताओं को प्रकट करती है):-

businessman बनने से पहले रॉबर्ट Xerox Corporation में job करते थे . उस समय वो कंपनी के सबसे ख़राब सेल्समैन थे . वो एक भी प्रोडक्ट बेच नहीं पाते थे और अपने साथियों से काफ़ी पीछे थे . इसलिए रॉबर्ट ने सलाह माँगने के लिए रिच डैड को बुलाया . ” तुम एक दिन में कितने कॉल्स करते हो ? ” , रिच डैड पूछा . रॉबर्ट ने कहा तीन या चार लेकिन ज़्यादातर वक़्त वो कॉफी शॉप में या पेपरवर्क करने में बिताते थे।

उन्हें ये कॉल्स करने में बड़ी शर्म आती थी . रॉबर्ट को रिजेक्शन से नफ़रत थी इसलिए वो कम से कम कॉल करना चाहते थे . रिच डैड ने कहा कि पूरी दुनिया में ऐसा एक भी इंसान नहीं है जो रिजेक्ट होना पसंद करता है . बस कुछ गिने चुने लोग ही हैं जो अपने डर को दूर कर ऐसे कॉल्स करने में बेहतर हो जाते हैं।

फेलियर को रोकने के लिए आपको जल्द से जल्द फेल होने की ज़रुरत है.जी हाँ , आपने बिलकुल ठीक सुना.जितनी जल्दी आप फेल होंगे , उतनी ही तेज़ी से आप अपनी गलतियों से सीखेंगे . अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो आप पीछे भी हट सकते हैं लेकिन इससे आप सिर्फ एक loser बन कर रह जाएँगे।

रिच डैड ने सलाह दी कि रॉबर्ट को नाईट शिफ्ट में एक अलग सेल्स job ले लेनी चाहिए . उन्होंने ऐसा इसलिए कहा ताकि रॉबर्ट जल्द से जल्द फेल हो सकें . लेकिन रिच डैड की बात सुनकर रॉबर्ट शिकायत करने लगे . उन्होंने कहा कि वो रात में काम नहीं करना चाहते।

इसके बजाय वो नाईट क्लब में पार्टी और एन्जॉय करना चाहते थे.रिच डैड ने पूछा , “ तुम सच में एक businessman बनना चाहते हो या नहीं ? ” एक businessman की सबसे ज़रूरी स्किल होती है प्रोडक्ट बेचना . सेल्स के बिना कोई Bussiness टिक नहीं सकता . अगर आप एक प्रोडक्ट भी नहीं बेच सकते तब आपके लिए एक employee का रोल ही परफेक्ट है।

इसलिए रॉबर्ट ने फ़िर से कोशिश की . लेकिन लोगों ने फ़िर उन्हें रिजेक्ट कर दिया.वो हमेशा कहते , “ सॉरी , हमें इसमें कोई इंटरेस्ट नहीं है ” या अगर तुम यहाँ से नहीं गए तो मैं फ़ौरन पुलिस को फ़ोन कर दूंगा ” . तब जाकर उन्हें रिच डैड की बात समझ में आई कि job में तनख्वाह मिलने से पहले आपको फ्री में काम करने की ज़रुरत होती है।

इसलिए रॉबर्ट ने चैरिटी के काम के लिए अपना नाम आगे किया . इस काम में उन्हें लोगों को कॉल कर पूछना था कि क्या वो कुछ पैसे दान करना चाहते थे . रॉबर्ट xerox में अपना job ख़त्म कर शाम को 7-9 ये काम करने लगे . बहुत तेज़ी से फेल हुए . अब दिन में तीन या चार कॉल की बजाय रॉबर्ट बीस कॉल कर रहे थे . उन्हें बार – बार रिजेक्ट किया गया और वो इस फेलियर को बेहतर ढंग से हैंडल करना सीख रहे थे

रॉबर्ट धीरे – धीरे लोगों से हाँ कहलवाने के लिए सही शब्दों का इस्तेमाल करने लगे . वो ज़्यादा अच्छे से बात करना सीख गए थे . इस तरह , अपने एक्स्ट्रा काम में वो जितनी तेज़ी से फेल हुए उतनी ही तेज़ी से Xerox में अपनी job में कमाने लगे.अब वो सबसे बुरे सेल्समेन नहीं थे।

हर बीतते दिन के साथ वो प्रोडक्ट बेचने में और भी बेहतर होते जा रहे थे . Xerox में अपने चौथे साल में वो कंपनी के बेस्ट सेल्समेन बन गए . अब वो बड़ी आसानी से किसी को कुछ भी बेच सकते थे . तब उन्हें एहसास हुआ कि वो अब एक businessman बनने के लिए बिलकुल तैयार हो गए थे।

Lesson-5 The Process Is More Important than the Goal(प्रक्रिया लक्ष्य से अधिक महत्वपूर्ण है):-

अबरॉबर्ट ने अपने पहले Bussiness की शुरुआत की . उनका प्रोडक्ट था नायलॉन सर्फर वॉलेट . ये एक बहुत ही बेहतरीन प्रोडक्ट था . वो और उनके पार्टनर मार्केटिंग करने में उस्ताद थे . आश्चर्य की बात तो देखिए कि जो लड़का एक प्रोडक्ट नहीं बेच पाता था।

वो ख़ुद का Bussiness शुरू कर करोड़पति बन गया था . वो यंग थे और अपनी सक्सेस देखकर उनका सिर सातवे आसमान पर पहुँचगया था.अपने पैसों से उन्होंने रेसिंग कार खरीदी , पूरी रात पार्टी करते रहे . लेकिन कुछ समय बाद उनका Bussiness ख़राब होने लगा।

अपने Bussiness में उन्होंने प्रोडक्ट और कम्युनिकेशन फैक्टर को ठीक से अप्लाई किया था लेकिन कैश फ़्लो , सिस्टम और लीगल में मात खा गए.जब Bussiness बढ़ने लगा तो रॉबर्ट और उनके पार्टनर इन तीनों फैक्टर को संभाल नहीं पाए . इस वजह से उन्हें काफ़ी नुक्सान उठाना पड़ा।

अब रॉबर्ट ने महसूस किया कि Bussiness को ख़राब तरीके से डिज़ाइन किया गया था.लेकिन कम से कम उन्होंने छे महीने के लिए करोड़पति होने का एक्सपीरियंस तो किया.यही तो रिच डैड कह रहे थे . ज़्यादातर लोगों को जिंदगी में ऐसा मौका नहीं मिलता ज़्यादातर लोग एक job और रेगुलर तनख्वाह से ही संतुष्ट हो जाते हैं। ऐसे लोगों का समय घर पर या ऑफिस में ही बीत जाता है।

रिच डैड ने सिर्फ़ पैसे , या बड़े बंगले और महँगी गाड़ियों के लिए Bussiness करने का फ़ैसला नहीं किया था.उन्होंने इसे एडवेंचर के लिए किया था . भले ही वो कई बार फेल हुए लेकिन रिच डैड को कभी उन एक्सपीरियंस के लिए पछतावा नहीं हुआ।

जिस समय उन्होंने सक्सेस का स्वाद चखा वो उनके लाइफ का सबसे बेस्ट टाइम था.उन्होंने रॉबर्ट से कहा कि गोल से ज़्यादा वहाँ तक पहुँचने का process इम्पोर्टेन्ट होता है . फेलियर आपको याद दिलाते हैं कि आपसे कहीं ना कहीं कोई चूक हो रही है . आपको हमेशा सीखते रहने की ज़रुरत है ताकि आप सक्सेस की ओर बढ़ सकें।

रिच डैड ने समझाया कि रॉबर्ट ने लाखों तो कमा ही लिए थे जिसका मतलब था कि वो सही रास्ते पर थे . उन्हें बस इम्प्रूव करते रहने की ज़रुरत थी ताकि Bussiness बढ़ता रहे।

कई सालों बाद , जब रॉबर्ट पीछे मुड़कर अपने कैरियर को देखते हैं तो सोचते हैकि कैसे वो तनख्वाह कमाने वाले से मल्टी – मिलियनेयर बन गए . उन्होंने महसूस किया कि पिछले 30 सालों में उन्हें Bussiness के तीन process से होकर गुज़रना पड़ा.पहला था , लर्निंग process . दूसरा था , अर्निंग process और तीसरा था गिविंग बैक यानी वापस देने का process।

1974 से 1984 तक रॉबर्ट ने एक businessman बनने का तरीका सीखा . तब उनका Bussiness फेमस रॉक बैंड्स के लिए नायलॉन सर्फर वॉलेट और दूसरे प्रोडक्ट्स बनाना था . इन दस सालों में उन्होंने B – 1 triangle को अच्छे से मैनेज करना सीख लिया था।

जैसा कि हमने पहले सीखा था ये Bussiness के पांच लेवेल्स के बारे में है जो है प्रोडक्ट , सिस्टम , लीगल , कम्युनिकेशन और कैश फ़्लो . 1984 से 1994 तक रॉबर्ट ने बहुत पैसा कमाना शुरू किया.उन्होंने अपनी गलतियों से सीखा और आखिरकार सक्सेस हासिल की.उन्होंने अपने प्रॉफिट को प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट किया जिससे उन्हें रेंट और दूसरे इनकम होने लगे।

उन्होंने इन्वेस्टर्स और businessman बनने की इच्छा रखने वाले लोगों को Bussiness सीखाने का कोर्स भी ऑफर करना शुरू किया . 1994 से 2004 तक रॉबर्ट ने फैसला किया कि अब तक उन्होंने जितना भी कमाया है उसके बदले उन्हें भी कुछ करना चाहिए यानी गिविंग बैक उन्होंने लाखों कमा लिए थे।

और अब वो ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को सिखाना चाहते थे कि वो भी Bussiness में कैसे सक्सेसफुल हो सकते हैं . इसके लिए उन्होंने Rich Dad Company बनाई . रॉबर्ट ने ख़ुद से पूछा” मैं ज़्यादा लोगों की मदद और सेवा कैसे कर सकता हूँ। रॉबर्ट को सफलता के शिखर पर पहुँचने में तीस साल लगे।तो बताइए , हम में से कितने लोग इस process से गुज़रने के लिए तैयार हैं ?

जब भी कोई ये सवाल पूछता है , ” कौन कौन करोड़पति बनना चाहता है ” ? तो लोग बड़ी जल्दी अपना हाथ ऊँचा कर देते हैं . बेशक , हर कोई करोड़पति बनना चाहता है . लेकिन इससे भी ज़्यादा ज़रूरी सवाल तो ये है कि इस challenging process से गुज़रने के लिए कौन कौन तैयार है ?

वैसे तो कई तरीके हैं जिससे आप अमीर बन सकते हैं जैसे , जब आपको अच्छी ख़ासी जायदाद मिल जाती है या आप किसी अमीर इंसान से शादी कर सकते हैं , या किसी क्राइम के चक्कर में पद जाते हैं या लाटरी में पैसे जीतते हैं।

लेकिन ये तरीके लंबे समय तक टिके नहीं रहते . ये आपको कभी सच्ची ख़ुशी और सक्सेस नहीं दे पाएँगे . कई साल पहले , एक जर्नालिस्ट ने हेनरी फ़ोर्ड से पूछा , ” अगर आप Bussiness में अपना सारा पैसा खो देते हैं तो आप क्या करेंगे ? ” हेनरी ने कहा , ” मैं उसे पांच सालों के अंदर वापस कमा लूँगा।

इसलिए लाखों कमाने का सबसे अच्छा तरीका है एक स्मार्ट businessman बनना . अमीर होने से ज़्यादा ज़रूरी है स्मार्ट होना . अगर कभी आप अपना सारा पैसा खो भी देते हैं तो आप उस process से सीख कर ज़्यादा होशियार और स्मार्ट हो जाते हैं . जब तक आपका माइंडसेट एक स्मार्ट businessman जैसा होगा तब तक चाहे कुछ भी हो जाए आप हमेशा पैसा कमा कमाते रहेंगे बिलकुल हेनरी फ़ोर्ड की तरह।

निष्कर्ष ( Conclusion ):-

तो आपने एक employee और एक businessman के बीच के फ़र्क के बारे में जाना.अगर आप सच में एक Bussiness शुरू करना चाहते हैं तो आपको रिस्क लेने के लिए तैयार रहना होगा.businessman को मंथली तनख्वाह नहीं मिलती . कोई प्रॉफिट होने से पहले आपको खुद रेंट , इंटरनेट सब का ख़र्च भी उठाना होगा।

आपने ये भी समझा कि Bussiness शुरू करने के process में हम कई बार फेल होते हैं . लेकिन जितनी जल्दी आप अपनी गलतियों को पहचान लेंगे उतनी ही जल्दी आप उसका हल भी ढूंढ सकते हैं . फेलियर इस process का हिस्सा है,जब तक आप कोशिश नहीं करेंगे तब तक आपको पता नहीं चलेगा।

Bussiness के बारे में जानने का सबसे अच्छा तरीका है उसे रियल में एक्सपीरियंस करना . आपने job और वर्क के बीच के फ़र्क को भी समझा . एक Bussiness की शुरुआत में businessman बहुत सारे काम फ्री में करते हैं . कभी – कभी उन्हें प्रॉफिट कमाने के लिए लंबे समय तक इंतज़ार करना पड़ता है।

लेकिन याद रखें कि अगर आप डट कर काम करते रहे , सीखते रहे और ख़ुद को इम्प्रूव करते रहे तो आपको उसका बहुत अच्छा रिजल्ट मिलेगा . आप जितनी बार फेल होंगे आपको सक्सेसफुल होने के लिए उतने ही ज़्यादा मौके मिलते रहेंगे . फेल होने से आपको पता चल जाएगा कि क्या काम करता है और क्या नहीं . इसी तरह आप एक स्मार्ट businessman बनते हैं।

आपने ये भी जाना कि गोल से ज़्यादा इम्पोर्टेन्ट उस तक पहुँचने का पूरा process होता है . आजकल लोगों को हर चीज़ इंस्टेंट चाहिए जैसे इंस्टेंट नूडल्स , इंस्टेंट प्यार और इंस्टेंट बहुत सारा पैसा . लेकिन रियल लाइफ में इंस्टेंट कुछ नहीं मिल सकता ख़ासकर सक्सेस तो बिलकुल नहीं जो सक्सेस इंस्टेंट मिलती है वो उतनी जल्द ही ख़त्म भी हो जाती है। लंबी सक्सेस पाने के लिए कई challenges का सामना करना पड़ता है और खूब सारा काम करना पड़ता है।

एक businessman की जर्नी बहुत adventurous होती है . Bussiness करना कोई आसान काम नहीं है लेकिन अगर आपने अपना होमवर्क कर सब कुछ स्मार्टली हैंडल कर लिया तो आपको कमाल के रिजल्ट मिलते हैं।

businessman का मतलब एक सेलेब्रिटी होना या बंगला और लक्ज़री कार खरीदना नहीं होता . businessman होने का मतलब है एक पर्पस होना और चीज़ों को अपने तरीके से करने की फ्रीडम होना . अगर आपके पास एक ख़ास पर्पस है जो आपकी इच्छाओं से भी बड़ा है तो आप एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी सक्सेस हासिल करेंगे।

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