
ऐसी क्या चीज़ है जो अभी आपको तंग कर रही है ? वो चाहे जो भी चीज़ हो मगर आपकी ये टेंशन आपको जीने नहीं दे रही , आपके अपनों से दूर कर रही है , आपकी सक्लेस और खुशियाँ आपसे छीन रही है . तो क्या आप जिंदगी भर टेंशन में रहना चाहते है ? या फिर खुलकर अपनी जिन्दगी जीना चाहते है । इस किताब में आपको ऐसे डफेक्टिव तरीके मिलेंगे जो आपको हर प्रॉब्लम से छुटकारा दिला देंगे , क्या आपकी आदत है कि आप हमेशा पुरानी बातो का पछतावा करते रहते है या फिर हमेशा क्यूपर की चिंता में दूबे रहते है ? कभी – कभी लोग इन्नी शिन लेते है कि वे अपने प्रेजेंट को ही भूल जाते है . क्या आपको लगता है कि आप एक भरपूर जिंदगी जी रहे है।
हर दिन को भरपूर जिए –
स्प्रिंग के मुहाने दिन में एक जवान मेडिकल स्टूडेंट अपने प्यूचर के बारे में सोच रहा था . क्या वो फाइनल एक्जाम्स पास कर पायेगा ? स्कूल खत्म होने के बाद उसे कहाँ जाना माहिए ? कैसे गो अपने करियर शुरू करेगा ? दो लडका यही सब सोच रहा था . उसके हाथ में एक किताब थी जिसे वो उस टाइन पढ़ रहा था कि तभी उसे उसमें लिखे ऐसे 21 वर्दस मिले जिन्हें पढ़कर वो इंस्पायर हो गया|
आने वाले टालम में वो मेडिकल स्टूडेंट अपने जेनेरेशन के सबसे सक्योसफुल डॉक्टर्स में से एक था . उसने फेमस जॉन होपर्किस मेडिकल स्कूल को लीड किया और ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी का एक बहुत ही रिस्पेक्टेड प्रोफेनार बना , और वो नौजवान या सर विलियम ओसियर , जो 21 दई सर विलियम ने पड़े वे थे दूर जो धुंधला दिखाई दे रहा है , उसे देखना हमारा मेन काय नहीं है बल्कि जो क्लीपरली हमारे हाथ में है उसे देखना है ” इसका मतलब है कि हम उन कामो या टास्क पर ज्यादा फोकस करे जो हमें अभी करने हे बजाये इसके कि हम प्यूचर के बारे में टेशन ले .
सर विलियम ने येल युनिवर्सिटी में एक स्पीच दी थी जिसमें उन्होंने स्टूडेंट्स को डे – टाईट कम्पार्टमेंट में रहने के लिए एकरेज किया , सोचो कि आप अपने पास्ट के दरवाजे लॉक कर सकते हो . फिर आप अपने फ्यूपर के दरवाजे भी लॉक कर लेते हो तो अब आपके हाथ में जो बदंगा वो है आपका प्रेजेंट यानी आज और अभी .. टाईट कम्पार्टमेंट का मतलब है हर एक दिन के हिसाब से जीना , खुद को अलाओ ( Allow ) करे कि आप सिर्फ उस चीज़ के बारे में सोचे जो उस वक्त आपके सामने मौजूद है . अपने दिमाग को पास्ट या फ्यूचर में ना भटकने दे।
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सर विलियम का ये मतलब नहीं था कि आप फ्यूचर के लिए बिलकुल भी प्रीपेयर ना हो , मगर उसको लेकर फिक करने के बजाये अपनी सारी एनर्जी आज के टास्क में लागाये तो ज्यादा फायदेमंद है , जो भी करे उसे पूरे शिदत से करे , अपना बेस्ट दे . बस यही आपको करना है फिर तो आपका प्यूपर बढ़िया होगा ही होगा . ” रेत ( sand ) का एक दाना एक टाइम में , एक टास्क एक दिन में हम अपने पास्ट और फ्यूचर के बीच में खड़े रहते है .
पास्ट एक लम्बी हिस्टरी है और प्यूचर बहुत बड़ा है . किसी ने इसे नहीं देखा , और हो सकता है कि हम इतनी लंबी जिंदगी ना जी पाए , तो फिर क्या फायदा कि गुजरे गए और जाने वाले टाइम के बारे में सोच – सोच के परेशान हो . हमें फिर्क करनी चाहिए तो सिर्फ आज की . दिन – रात फिक करने से बहुत से लोग बीमार भी पड़ जाते है . ऐसे लोग नर्वस ब्रेकडाउन या फिर एक्सट्रीन बॉडी पैन के शिकार होते है . इससे तो अच्छा है कि उन कामो पर ध्यान दिया जाए जो हमें आज करने है!
सुबह उठने से लेकर रात सोने तक हमें बस अपने आज में जीना चाहिए . इससे नींद भी अची आएगी और आने वाली सुबह भी फ्रेश होगी , मिशिगन की मिसिज ई.के. शील्ड्स के सुसाइड करने तक की नौबत आ गयी थी कि तभी उन्होंने अपने आज में जीने की इम्पोटेंस समझी . अपने पति की मौत के बाद यो गरीबी झेल रही थी और काफी डिप्रेस्ड हो गई थी . मिसिज शीला किताब बेचने के अपने पुराने ये पर लग गई , उससे लगा काम करने से उनका मन बहल जाएगा , मगर अकेलापन एक बिमारी की तरह होता है जो धीरे – धीरे आता है . अकेले खाना , अकेले ड्राइव करना , यही अकेलापन उसे अंदर ही अंदर खा रहा था . ऊपर से कोई स्कूल उसकी बिताये खरीदने को तैयार नहीं था . उसे कहीं भी सक्सेस नज़र नहीं आ रही थी|
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